कश्ती
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कश्ती फंसी तूफान में,कौन निकाले
टूटे स्वप्न जहान में, कौन निकाले
मुश्किलों ने जिंदगी को आकर घेरा
तरणी है मंझदार में,कौन निकाले
कोई नहीं संसार में तेरा मेरा
स्वार्थोंं भरे जंजाल में,कौन निकाले
अंतर्द्वंदों ने भंवर बीच फंसाया
भाग्य मध्य वीरान में,कौन निकाले
बिखरें हैं अरमान, कोई ना हमदर्दी
हालात ना संभाल में,कौन निकाले
मनसीरत मायाजाल में है अकेली
पहेली के प्रभाव में,कौन निकाले
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)