कवि की कविता !
कवि की कविता !
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शब्द – शब्द , रच – रच ,
कविता बनाता , कवि !
पंखुड़ियों से , सज – सज ,
कलियाॅं खिलाता , कवि !
व, खुशबुओं की,अनुभूति करा,
आसक्त करता , कवि !!
भावनाओं का , प्रवाह कर ,
उसे, भावपूर्ण बनाता, कवि !
हास्य – व्यंग्य , डाल ,
सबको हॅंसाता , कवि !
बिन्दास अंदाज़ , डाल ,
ठंडक पहुॅंचाता , कवि !
पूछकर , दिल का , हाल ,
सबका, मन बहलाता, कवि !
करुणा , उसमें डाल ,
प्रसंग, कारुणिक बनाता, कवि !
व, अपनी , मनमोहक रचना से ,
सर्वदा, मुग्ध कर देता , कवि !!
कवि की कविता !
जिसमें , परिलक्षित होती ,
एक ऐसी परिदृश्य !
जिसमें, झलकता हो——-
मानो ! कवि का व्यक्तित्व !!
एक , ऐसा व्यक्तित्व———-?
जो , पूरे संसार का , दर्पण हो !
जो, जीवन की, सीख दिलाता हो !
हर व्यक्ति को ,
हर समाज / देश को ,
व , इस संसार को !
जो , ढूंढ निकालता—–
हर , उस चीज़ को ,
जो , अभी तक ,
विलुप्त रहे हों !
और , उन चीजों पर ,
प्रकाश – पुंज डाल ,
उन्हें, दीप्तिमान करता !
फिर उन्हें, अपने गुणों से ,
तराशकर————
कविता के रूप में ,
पूरे, जग को , परोसता !!
कवि , अपनी कविता में ,
उसकी , विषय – वस्तु को ,
सुशोभित करता !
उसके सत्य से ,
अवगत कराता !
पृष्ठभूमि में , ले जाकर ,
पथ – प्रदर्शक की भांति ,
सही राह दिखाता !
और न जाने ,
कितना कुछ, बयां करता—–
एक , कवि की कविता !!!!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
_ किशनगंज ( बिहार )