कवि और चितेरा
कवि हृदय भावों को,
तुलिका के माध्यम से,
कल्पना के पंखों पर उड़कर
लिखता है, जो कुछ समाज में देखता है।
कवि अपने युग का प्रतिनिधि है
साहित्य समाज का दर्पण है
चितेरा अपनी कूची के माध्यम से
हृदस्थ भावों को उकेरता है
जो कुछ समाज में देखता है।
कल्पना की ऊंची पतंग पर डोर के सहारे
सवार होकर देखता है समाज के आर-पार
सोचकर नये रंगों को भरता है
कवि और चितेरा एक दूसरे के पूरक है
जो एक-दूसरे से समझौता करते हैं।
‘अंजुम’ समाज के बंधन में बधा
सोचता है, समाज के बिना अस्तित्व कहां
मानव एक सामाजिक प्राणी है
व्यक्ति एक इकाई जिसे समाज बनाता-बिगाड़ता है।
नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
मोहल्ला-जाब्तागंज, नजीबाबाद, बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर 9152859828