कविराज
चलो आज सुनाता हूंँ एक कविता,
सुनकर हैरान न होना सब,
व्यर्थ में आश्चर्यचकित ना रह जाना ,
एक-एक पंक्ति ह्रदय से लेना ,
ध्यान खो ना जाए कहीं ,
काव्य की भावना है यह,
भावुक भी कर देंगे तुमको ,
एक छोटी-सी आरजू है ,
प्रसन्न मन से आनंद लेना ,
ऐसी लिखी है कृति ,
सुनाने का भाव है जगा मुझ में ,
सुनने का भाव सार्थक करना तुम ,
काव्य मंच पर खड़ा एक कवि ,
निहारता है प्रांगण की ओर ,
देख जिज्ञासा सुनने वालों की ,
हो गया वह भाव विभोर ,
लुटा दिया फिर प्यार के बोल ,
प्रशंसक है ढेरों ढेर ,
धन्य हुआ है कवि आज ,
हृदय में बसा है कविराज ,
चंद शब्दों से बने हैं उसके एहसास ,
आज कहता है धन्यवाद धन्यवाद ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर ।