कवियों की महफिल और हास्य-व्यंग्य.
कवियों की महफिल में सभी कवि पहुंच गये ।?
अब झेले कौन सब उठकर चले गये । ?
सुना सुनाकर अपनी अपनी गाथा.।?
एक को नींद में आँखें लग गई.।?
पूछा भाई. ।
बड़े शौकीन हो.।?
अन्यथा दुनिया. सुन सुनकर भाग गई.।
कहने लगा.।
मैं भी कवि हूँ. ।?
नंबर के इंतज़ार में हूँ. ।
आप आखिर हो.।
अब मेरी बारी है.।
सुन नहीं लेते जबतक पकडे रखूँगा.।?
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नहीं छोडूगाँ तुम्हें.।?
अन्यथा सुन ले.।
मैंने भी झेलना पड़ा सबको.।
तू सिर्फ मुझ अकेले को झेल ले.।?
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नमो बुद्धाय ?
“जीवन एक अभिव्यक्ति” के प्रोमोशन में?