कवित्त
मैं दिवाना था, हूँ, रहूंगा
तूझे पा नहीं सका किन्तु
तुम्हारे ही पीछे सदा रहूंगा
एक पागल या प्रेमी बनके
कल्पनाएं में भी तुझे ही
स्मरण करूंगा फिर भी
तू न मिले तो तुझमें ही
स्वयं अस्तित्वहीन तुझमें ही
समा जाउंगा एक पागल
तेरा दिवाना हमसफ़र बनके
चाहे स्वप्न में हो या यथार्थ