कविता _ रंग बरसेंगे
✍️ रंग बरसे __
आज लगे हर लड़की राधा,कान्हा निकले टोली में।
थोड़ी मस्ती थोड़ी शरारत,होगी ठिठोली होली में।
चौक चौराहे गली मोहल्ले, खूब सजेंगे होली में।
होलिका का होगा दहन, हरिभक्त बचेंगे होली में।
दादी संग मम्मी,चाची, पकवान बनाते होली में।
आंगन में सब हुए इकट्ठे, कीच मचाते होली में।
नीले, पीले, लाल, गुलाबी, फाग उड़ेगा होली में।
बूढ़े बनेंगे बच्चे,गलियों में शोर मचेगा होली में।
कहीं पे सजनी कहती,साजन घर आना होली में। प्यार के वादे अपने इरादे,नहीं बिसराना होली में।
भूली बिसरी कई कहानी,याद करेंगे होली में।
कोरेमन पर भर पिचकारी, रंग बरसेंगे होली में।
रूठे,छूटे रिश्ते,मित्रों संग त्यौहार मनाएं होली में।
रंग,गुलाल संग,गले मिलेंगे, प्यार लुटाएं होली में।
___ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान