कविता
आ मेरे सपनों के सौदागर,
मेरी बाहों में खो जाओ।
प्रेम की बौछार से साजन,
नीलंबर को ताल बनाओ।
इंद्रधनुषी रंगी हैं फिजायें,
गुलाबी है अंबर गुलाबी हवाएं।
स्नेह की कूची से बादल रंगें हैं,
ज्यूँ अंबर से टकराके लौटी दुआएँ।
सुन,वातावरण परिवेश सभी,
तेरी प्रीत रंग में रंगें हुए हैं।
जबसे है थामा, पिया हाथ तुमने
दबे थे जो अरमां वो पूरे हुए हैं।
हुआ आसमां जैसे हो,
बादलों में केसर घोला।
रंग घुला ऐसे ज्यूँ ,
प्रीत-प्रेम का भड़का शोला।
तुम हो साथ मेरे,
हुआ जाता है सिंदूरी सा वक़्त।
है सिंदूरी साँझ,
भानु से मिलन आतुर प्रेम सशक्त।
आओ चलें नीलम सितारों के पार,
सहज प्रेमियों पर होती है,
जहाँ चाँदनी की बौछार।
नीलम शर्मा