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7 Dec 2017 · 1 min read

कविता

#आखर_व्यूह_ भेदन

न पूछो हमसे कि क्या हाल-ए-दिल का है आलम,
नसीब में सुन लिखा फकत इंतज़ार तेरा बालम।
रुह-ए नज़र की चाहत है बस दीदार-ए-सनम।
दिल की भी चाहत है कि बस तेरा प्यार न हो कम।
भर के हामी अपनी रजामंदी दे देकर
मेरे प्यार का तोहफा तू कर कबूल नीलम।

बनकर हमसफ़र रुकी ज़ीस्त को रवानी दे दे।
हां,बेरंग तस्वीर को मेरी,तू रंग नूरानी दे दे।
तू मसीहा है और मैं हूं सुन इबादत तेरी
करनी होगी हर आरजू, तुमको पूरी मेरी।

दिल को आता है बस,ख्याल दिलबर तेरा
आकर काफ़िर भी पूछते हैं दिल का हाल मेरा
तूभी आके तो पूछ कभी जुदाई है क्या?
दिन में बेचैनी,होती हैं रातें भी स्याह।
क्या उपाय करें नीलम,तू ही कहदे ज़रा
क्या नहीं तुमको मेरी है परवाह ज़रा।

मौजूद थी सुन उदासी अभी पिछली रात की
बहला था जिगर ज़रा सा और से फिर रात हो गयी।
तेरी तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी ।
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुमको
बस याद आई तेरी और रुलाती चली गयी।

चांद क्यों तन्हा है,आगोश में चांदनी भरले।
इश्क के नूर से अमावस को नीलम करले।
कबसे तरसे हैं खुदाया हम तो रहमत को तेरी
कर करम हमपर और सारे ग़म हरले।
नीलम शर्मा

Language: Hindi
443 Views
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