कविता
क्यों मेरे पास होकर भी, तू दूर है मुझसे।
अब तो हसरत ही नहीं बाकी,मेरी जीने में।
फिर उठा दर्द का समंदर सा,आज सीने में।
नीलम होकर भी कुछ कमी सी है नगीने में।
नीलम शर्मा
क्यों मेरे पास होकर भी, तू दूर है मुझसे।
अब तो हसरत ही नहीं बाकी,मेरी जीने में।
फिर उठा दर्द का समंदर सा,आज सीने में।
नीलम होकर भी कुछ कमी सी है नगीने में।
नीलम शर्मा