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24 Sep 2017 · 1 min read

कविता

सनम ग़म बहुत हैं दर्द-ए-दिल में रहती है सुनो टीस बहुत,
है आह बहुत कराह बहुत रहती है सुनो, रंजिश भी बहुत।
वज्रापात के आघात से हैं मेरे दिल पर, नीलम उसके धोखे
न जाने क्यों फिर भी दिल को है,उसी बेरहम की चाह बहुत।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
330 Views
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