कविता
चाहो उड़ालो हमारी हसीं,हंसता हर पल छोड़ जाऊंगा।
सुन मैं तो झोखा हूं हवाओं का साथ उड़ा ले जाऊंगा।
मैं तो बहता दरिया हूं ए जहां न तू रोक मुझे
मुड़ा जिस ओर,उधर ही नये रास्ते बनाऊंगा।
नयी ज्योति के लगा,नये पंख झिलमिल,
इंद्रधनुषी रंग आसमां पर मैं चमकाऊंगा।
खुले मुक्ति का नव किरण द्वार जगमग,
उषा का नूतन प्रभात हर जिगर खिलाऊंगा।
सुन ये हवा, ख़ुश्बू, फिजां और ज़मीनो-आसमाँ पर
शोर्य गाथा का तिरंगा अपना मैं फहरा जाऊँगा।
नहीं शीशा मैं, नहीं पहचान मेरी टूटी खनक
मैं तो नीलम हूं, चमक और नाम छोड़ जाऊंगा।
नीलम शर्मा