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1 May 2024 · 1 min read

कविता

मेरे मन की पीर है कविता!
जो तुझे करे अधीर है कविता!!

कभी मन को सहला जाए,
कभी घाव करे गंभीर है कविता!!

कभी कल-कल बहती नदिया,
कभी समन्दर का नीर है कविता!!

कभी उड़ा ले जाये अंधड़ की ताई,
कभी भोर का समीर है कविता !!

तुम कया जानो क्या समझो नहीं पता?
मेरे लिए मेरा ज़मीर है कविता!!

Language: Hindi
1 Like · 105 Views
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