कविता
लेखनी
शब्दों की गागर में भावों का सागर
रखती छुपाए सदा लेखनी
कल आज कल में जीवन के पल में
अंतर बताती सदा लेखन।
बन करके साथी रहती है संग में
जिसने भी इसका रखामान है
सपनों का संसार जीने की हर राह
जो चाहो बताये सदा लेखनी।
जादू है इसके हर हर्फ में
जो लिखा बना वो अमिट काल तक
मन की छवि को उकेरे हूनर से
जो सोचो दिखाएं सदा लेखनी।
मेले अकेले में सुख और दुख के रेले में
जिसने इसे हमसफ़र चुन लिया
दुनिया की परवाह क्या वह करे
जिसकी दुनिया बसाये सदा लेखनी।
ताकत से करती हुकूमत सभी पर
अजर और अमर जिसकी पहचान है
जीना सिखाए जग को जगाये
दुख में हँसाये सदा लेखनी ।
नमिता शर्मा