कविता
मड़ई
आज मेरे गांव में मड़ई
भरी है यार।
घूमेंगे मौज मस्ती करेंगे
मित्र मिल के चार।
छोटे से इस मेले में
कितनी खुशियां समाई।
कपड़े,खिलौने,झूले,
मीठा सबका भरा बाजार।।
यह है बड़ी पुरानी
अपने यहां की रीत।
भरते है रंग लोक कला
नृत्य व संगीत।
आस्था और प्रेम का
संगम है यह मड़ई।
बच्चे बूढ़े औरतें
मुस्काते हैं मनमीत।।
नमिता शर्मा