कविता
मन भावों की उथल पुथल से
सजती सुंदर कविता
कभी अधूरे ख्वाव कभीहै
प्रेम से पूरित कविता।।
नव नूतन पल्लव सी लगती
सुख- दुख कीहै सरिता
सीख सृजन की अपनेपन की
मन मधुकर सी कविता।।
कभीओज निर्माणौं का भर
या संघर्षो की सीता
जैसीभी जिसकी भीहोती
संदेश ही होती कविता।।
शब्द में नाचे हदय हिलोरे
सुख देती है सच्चा
रिश्तो से जो कही नजाये
बात है सुनती कविता।।
राष्ट्रभक्ति या देव भक्ति या
कर्म राह की गीता
रंग- बिरंगे भाव सुनहरे
मुखरित करती कविता।।
नमिता शर्मा