कविता
*मात्रभूमि *
मात्रभूमि तुझ पर है जान भी निछावर
आन वान शान अरमान भी निछावर
मिट्टी में तेरी खेल कूंद के पले
धन्य हो गये माता गोद तेरी पाकर ।
मिट्टी है तेरी स्वर्ण से ज्यादा
एक अंशभूमि न जायेगी ये वादा
रक्त की बूंद बूंद स्वांस एक एक अपनी
लाखों तन फिदा है कहते कसम ये खाकर ।
वेद व पुराण ग्रंथ मंत्र का उच्चारण
पग पग पर कर्म धर्म करते हैं धारण
सबसे पहले सबसे बढ केदेव देश मानते
हर दुआ कहे यही हो यश तेरा उजागर ।
श्रीमती नमिता शर्मा
मो नं 9669041847