कविता
नवदुर्गा के नौ दोहे
प्रथम दिवस करें वंदना,शैलसुता कहलाए।
करमेंकमल त्रिशूल है,सुर नर मुनि जय गाए।।
माला कमण्डल धारणी,ब्रह्मचारणी मात।
धवलरूप जगतारणी,तप में रत दिन-रात।।
कनकवदन सिंहवासिनी,अर्द्धशशी शुभ माथ।
चंद्रघंटा महिषासुरी,दुर्गे करदो सनाथ।।
कूष्मांडा मां तेजमय,मंदहंसी जगजाया।
दशोदिशा मेंअष्टभुजा,व्याप्त तेरी माया।।
पद्मासना हैं स्कंदमाँ,पांचवा शुभस्वरूप।
गोदषडाननशोभते,आलौकिक व अनूप।।
छठवीमाँ कात्यायनी,गाँऊनित गुणगान
रोगशोकभयहरण का, दो माते वरदान।।
कालरात्रि खरवाहिनी,तीननयन विकराल।
साधुशीष आशीषधर,असुर मुण्डो की माल।।
गौरीमाता शिवप्रिया,दो अमोघ वरदान।
अन्नपूर्णा शुभतामयी,जगका करो कल्यान।।
शिवअर्द्धागिनी मात ही,आठोंसिद्धि दातार।
करुणामयी ममतामयी,सबकी पालनहार।।
नमिता शर्मा माध्यमिक शिक्षक 9009594797