कविता
है राम सहारा जन जन का
तेरे बिन न सहारा कोई नही
राम तुम्ही मेरे घनश्याम तुम्ही
नैया के खेवन हार तुम्ही ।
जब से मन मे लगन लगी तेरी
तेरे दर्शन को प्यासे है मेरे नैना ।
प्रभू आ जाओ पास मेरे हृदय में
ये मन तुमको पुकार रहा ।
जैसे शबरी को तारा प्रभू मेरे
वैसे ही मेरा उद्धार करो प्रभू।
जिसने भी मुख से राम पुकारा
उसका जीवन हर्ष आवाद हुआ ।
तेरी चितवन पर राम मेरे
मैने ये जीवन भी बार दिया ।
अपनालो मेरा घायल मन
ये जीवन मैने हार दिया ।
राम मेरा सहारा हो तुम
जन जन का भी सहारा बनो।
बस एक तमन्ना है इस जीवन
की परमार्थ करती जाऊं ।
जिसने मुझको प्यारा संसार दिया
उनकी भी मै सेवा करती जाऊं।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर