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5 Feb 2022 · 1 min read

कविता

✨✨कविता✨✨
तड़प!न कोई मजहब,न धर्म
फिर भी एक दर्द है
दुख मित्र हे आपका
ईश्वर की खोज कराता है।

शब्द भी चुभते हैं, अपशब्द जो कहते हैं, हंसाते भी हैं, रूलाते भी
लिखे जाते हैं ये अनंत शब्द
चुभन भी देते,घाव भी देते
शब्दों से खेले नही
सोचे बिना बोले नहीं
मीठा और कोयल सा बोलिए
हर हृदय को प्यारी लगे
ऐसी वाणी बोलिए।

सुषमा सिंह “उर्मि,,

Language: Hindi
1 Like · 256 Views
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