कविता
❤️❤️इंतजार❤️❤️
हरपल रहता है इंतजार तेरा,
आहट सी जब भी कोई होती,
आता है आंखों में चहरा तेरा।
आज भी ढलती शाम में इंतजार है,
ऐ आंखें भी बोझिल हो गई हैं,
फिर भी रहता उनका इंतजार है,
नहीं है बेवफ़ा वो,जीने का सहारा है
ख्वाबों में जब कभी मुलाकात होती है!
इंतजार —आखिर कब तक?
अंजानी राहों में इंतजार करती हूं,
हर भीड़ में बस, तुझे तलाश करती हूं।
कुछ पल को ये राहें साथ देती हैं,
थोड़ा चलके साथ , आगे तन्हा छोड़ देती हैं,
मेरी आंखों में जब भी आंसु आते हैं,
मेरी नजरें बस तेरा इंतजार करती है।
कयामत तक हम करेंगे इंतजार तुम्हारा साजन,
जब तक ये चांद है,सूरज है,
जब तक हम थामेगें तुम्हारा दामन।।
सुषमा सिंह उर्मि