कविता
हिंदी दिवस
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केवल रस्म निभाते हम |
हिन्दी दिवस मनाते हम |
मगर मंच से ज्योंही उतरे |
हिन्दी को ठुकराते हम |
बोली में है दम नहीं |
हम किसी से कम नहीं |
अवधू पूछें !कौन चाहता ?
देशी टानूँ , रम नहीं |