कविता
✍️ जागो पुजारी जागो ✍️
पालघर-करौली वाया महुआ दौसा
कोई जगह सुरक्षित पुजारी नहीं
क्यों ऐसा?
पालघर-करौली या महुआ दौसा में
घटनाओं पर चुप्पी-सादे बैठे है,
अरे कोई तो पूछो उनसे ये राक्षस कौन है,
जो शेर की खाल ओढे ये कुत्ते कौन है,
जो पुजारियों की दिन-दहाड़े निर्मम हत्या करते है,
पुजारियों की हत्या करते है वो क्या दानव है,
साधु-संतों की हत्या में जिनका हाथ है
क्या वो इंसान नहीं है ?
जिन जमीनों के खातिर मारे जा रहे है पुजारी,
ऐसे दबंगों का कोई इलाज नहीं,
सरकार-नेता और कानून क्यों
अंधे-बहरे-गूंगे बनकर बैठे है ?
पालघर-करौली-महुआ दौसा के उठी
आवाजों का निर्मम दमन हो रहा,
धिक्कार है ऐसे सत्ताधीशों को
जो आज बने है दोमुहें नेताओं को,
पापी-पशुता राक्षसी भरी आत्माओं को,
लानत है उनको जो पुजारियों घात कर रहे है,
जरा भी शर्म नहीं उनको जो करते है
निर्मम हत्या करते है,
अब बहुत हो चुका है पुजारियों पर अत्याचार,
वैष्णव-बैरागी के जन-जन में है भारी क्रोध प्रचंड,
इन पापियों को देनी होगी फांसी जैसा दंड,
अरे बिकाऊ मीडिया
तुम तो न्याय वाली बात करो,
तुम मत उलजो “टीआरपी” की
दलाली में पुजारियों की बात करो,
गर बिक जाओगे रुपयों में तुम फिर
फिर मत कहना कोई बन जाय
युवा “परशुराम” फिर,
धैर्य नहीं धरेंगे बनकर “परशुराम”
तब प्रलय बनकर
संहार कर देंगे पापियों का फिर,
याद है इतिहास दिल्ली का
जब चलाईं थी निहत्थे साधुओं पर गोलियां,
नामों-निशान मिटते देख रहे हो
साधुओं की निकलेगी हाय,
सुन ऐ गहलोत सरकार
वरना वहीं हालात राज्य सरकार का भी होगा,
लगेगी हाय पुजारियों की तुम्हारा भी वो हश्न होगा,
जागो-जागो अब तो पुजारी भाइयों
अब नहीं तो कभी नहीं,
सर कटवा दो या फिर सिर गिनवादो,
इस निकम्मी सरकार को !!
? चेतन दास वैष्णव ?
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
राजस्थान
स्वरचित मेरी रचना