कविता
रूह का भी श्रृंगार कर
ईश्वर से तू प्यार कर।।
भर दुआए झोली में
बुजुर्गों का सत्कार कर।।
नश्वर तन का लोभ कैसा
सिमरन बारम्बार कर।।
झूठ मक्कारी का सौदा
ऐसा नही व्यापार कर।।
साँझ दुनिया है झमेला
मन ना प्यारे खार कर।।
संगीता गोयल
30/12/19