कविता
रूठे हुए दोस्तों के लिये नव वर्ष मे कुछ पंक्तियां
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खता हमसे हुई हो तो
सर हम ये झुकाते हैं
चलो सब दोस्तों को हम
फिर दिल से बुलाते हैं
खड़े हैं हाथ फैलाये
अब तो मान भी जाओ
नये इस साल मे फिर से
महफिल को सजाते हैं
जहां मे नाम है रोशन
बस इस दोसती से ही
चलो इस दोसती को हम
कुछ आयाम देते हैं
रहोगे कब तलक तनहा
यूं ही इस जमाने मे
नया फिर साल आया है
हम मिल कर मनाते हैं
भला बचपन की यारी को
तुम कैसे भुलाओगे
भुला कर सब खतायें हम
दिल से दिल मिलाते हैं
प्रदीप भट्ट, दिल्ली