कविता
मत पूछिए उनके
शहर से
हम क्या लाये हैं
एक दिल था
अपना वो
भी गवां आए हैं
कुछ बेरहम यादें हैं
कुछ खामोश
फरियादें है
और हाँ
चंद हसीन
ख्वाब हैं
जो
उनकी आँखों
से चुरा लाएं है
-अजय प्रसाद
मत पूछिए उनके
शहर से
हम क्या लाये हैं
एक दिल था
अपना वो
भी गवां आए हैं
कुछ बेरहम यादें हैं
कुछ खामोश
फरियादें है
और हाँ
चंद हसीन
ख्वाब हैं
जो
उनकी आँखों
से चुरा लाएं है
-अजय प्रसाद