कविता
पीडा से जलते इस तन में ।
करुणा से तपते इस मन में ।
ढूंढता जब शब्दों में दर्द।
चेतना को भाएं तब अर्थ ।
तब जन्म लेती है कविता ।
भावों की बहती है सरिता।
कलियों सा मुस्काए मन।
हर्षित पवन वन-उपवन।
खुशियों से फिर चमके नैना।
सुख के गीत गाए मन-मैना।
तब कहलाती है कविता।
भावों की बहती है सरिता।
।।मुक्ता शर्मा ।।