Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2018 · 1 min read

कविता

आँचल में है दूध और आँखों में पानी
**********************************

सुला कर गोद में अपनी झुलाया पूत को पलना
तड़प कर रो उठी ममता पड़ा अपमान जब सहना।
बह रहे आँख से आँसू निकल घर द्वार से अपने
किया छलनी हिया मेरा मिला कर राख में सपने।।

उठी उम्मीद की अर्थी तरसती नेह पाने को
छलावे के पहन रिश्ते चिता पर बैठ जाने को।
कभी सोचा नहीं आगम जना जब पूत माता ने
डँसेगा नाग बन मुझको दिया कुलदीप दाता ने।।

थका पाया लगा सीने दुलारा प्यार से इसको
नहीं मालूम था उस दिन लजाएगा यही मुझको।
छिपा कर हाथ के छाले किया श्रमदान हँस करके
लुटाया चैन का जीवन कुरेदे राख ये तनके।।

सहूँ हर दर्द दुनिया का हुई लाचार अंगों से
जुड़ा ये साथ दुश्मन के दिखाता जाति दंगों से।
झुका कर शीश को अपने खड़ी अपराध की जननी
कलंकित दूध कर मेरा दफ़न की राख में करनी।।

लहू गद्दार है मेरा कहूँ कैसे ज़माने से
मिटा दी ख़ाक में हस्ती नहीं हासिल जताने से।
बनी मैं राख की ढेरी सुलगती रेत छाई है
मरुस्थल बन गया जीवन उदासी उर समाई है।।

नाम -डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
शहर -वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
"देश भक्ति गीत"
Slok maurya "umang"
बसंती हवा
बसंती हवा
Arvina
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
मरने से पहले
मरने से पहले
Dr MusafiR BaithA
2845.*पूर्णिका*
2845.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
🙅आज का ज्ञान🙅
🙅आज का ज्ञान🙅
*प्रणय*
“आज की मेरी परिकल्पना”
“आज की मेरी परिकल्पना”
DrLakshman Jha Parimal
"दूरी के माप"
Dr. Kishan tandon kranti
सृजन
सृजन
Mamta Rani
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ज्ञान-दीपक
ज्ञान-दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
लोग भी हमें अच्छा जानते होंगे,
लोग भी हमें अच्छा जानते होंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
डॉक्टर रागिनी
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
आज खुशी भर जीवन में।
आज खुशी भर जीवन में।
लक्ष्मी सिंह
आवाज दिल की
आवाज दिल की
Diwakar Mahto
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Mai deewana ho hi gya
Mai deewana ho hi gya
Swami Ganganiya
" मैं सिंह की दहाड़ हूँ। "
Saransh Singh 'Priyam'
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
मोह की मिट्टी ----
मोह की मिट्टी ----
Shally Vij
महंगाई एक त्यौहार
महंगाई एक त्यौहार
goutam shaw
शौक में नहीं उड़ता है वो, उड़ना उसकी फक्र पहचान है,
शौक में नहीं उड़ता है वो, उड़ना उसकी फक्र पहचान है,
manjula chauhan
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
Sonam Puneet Dubey
तेरी यादों के साये में
तेरी यादों के साये में
हिमांशु Kulshrestha
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
Mahesh Tiwari 'Ayan'
परम साहस से नाविक पार, नौका को
परम साहस से नाविक पार, नौका को
Ravi Prakash
Loading...