कविता
सर्द हवा
इन दिनों दस्तक सुखी -सुखी,
सर्द हवाओं का
एक हिस्से मे सर्द एक हिस्से मे
थोड़ा दर्द का
यादों मे है सीलन सा कुछ कुछ
गीलेपन का
हवा मे घुली है हर तरफ महक सी
रात रानी का
एहसास है आज भी हर पल-छण
तुम्हारे होने का
हसीन वादियों मे था साथ कदम से
कदम का
हर एक मोड़ पर था साथ कंधों से
कंधों का
वो नदी का किनारा,वर्फिली ठंढ़ी नदी
की धारा
रेतीली कभी मखमली राहों पर इशारा
तुम्हारे हिम्मत का
आज भी आभास है तुम्हारे प्यार की
गरमाहट का
प्रमिला श्री