कविता
मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ!!
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मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ
ना कभी किसी से हारी हूँ
मैं अद्भुत इक चिंगारी हूँ
मैं सौ पुरुषों पर भारी हूँ।
मत सोचो अब मैं अबला हूँ
मैं सक्षम हूँ मैं सबला हूँ
हर बाधा मुझसे हारी है
संपूर्ण आज की नारी है।
मैं पतित- पावनी गंगा हूँ
आधार शिला अधिकारी हूँ
मैं लक्ष्मी हूँ ,सावित्री हूँ
मैं हर घर की फुलवारी हूँ।
मैं ईश्वर की अद्भुत रचना
रे कातर नर! मुझसे डरना
मैं दुर्गा की अवतारी हूँ
मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ।
डॉ.रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ.प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर