कविता
राष्ट्रसंत मुनि तरुण सागर महाराज को समर्पित
महावीर के सिद्धांतों को जिसने जग में फैलाया।
दिगम्बर रह कर जीवन में सच्चा संत कहलाया।।
तन पर न कोई वस्त्र रखा रखी धर्म की लाज सदा।
मुनि तरुण सागर ने अमृतवाणी का रस बरसाया।।
कड़वे प्रवचनों से विश्व में जिसने नाम चमकाया।
खरी खरी कह कर जन जन को जिसने जगाया।।
बड़े दयालु परम हितकारी खूब अमृत छलकाया।
बड़े बड़े ग्रन्थ लिखे गूढ़ रहस्यों को भी बतलाया।।
त्याग ,तपस्या और प्रेम से जिसने जीवन महकाया।
भूले भटके भक्तों को जीने का जिसने पथ दिखाया।।
आज भले ही तन से मुनि का साथ हम ने न पाया।
लेकिन रोम रोम में तरुण सागर का शब्द ही समाया।।
कवि राजेश पुरोहित