कविता
#कविता?
कभी पुष्प सी कभी शूल सी,
जीवन की सच्चाई कविता.!
कुछ शब्दों को पंख लगा कर,
मैंने एक बनाई कविता.!!
जीवन के उन्मुक्त सफ़र में,
ठंडी शीतल माई कविता.!
कभी पिता के गुस्से जैसी,
बहलाई फुसलाई कविता.!!
शब्दों का अभिभावक बन कर,
कलमकार की जाई कविता.!
नन्ही अल्हड बिटिया जैसी,
रूठी और मनाई कविता.!!
कभी नरम सी कभी गरम सी,
साजन सी हरजाई कविता.!
बिरहा की ठंडी रातों में,
तपती हुई रजाई कविता.!!
चापलूसी की कलम तले दब,
मुरझाई कुम्हलाई कविता.!
कोई बना “दुष्यंत” किसी ने,
बेच बेच कर खाई कविता.!!
©आलोचक