कविता
बर्बादी ही होती है आपसी रंजिश में
इंसान कैद होता है वक्त की गर्दिश में
समय रहते खुद को न सम्भाल पाओगे
दलदल से खुद को न निकाल पाओगे
चीन ने गैर मुल्को के लिए वायरस बनाया
क्या खुद के वुहान शहर को बचाया
आदमी-आदमी को पछाड़े बुरा नही
क्या मानवता के बिना आदमी अधूरा नहीं
जीने के लिए सुकून भी जरूरी है
रोटी कपड़ा मकान तो मजबूरी है
छोटी सी जिंदगी में खूब बखेड़ा है
हमने खुद ही अपना बखिया उधेड़ा है।
नूरफातिमा खातून “नूरी”
13/4/2020