कविता । नब्बे प्रतिशत क्यो है
नब्बे प्रतिशत क्यों है प्रिये तुझको मुझसे ही प्यार
तेरे दर्पण देखने पर ही सदके मैं जाऊँ सौ सौ बार
भूख अकाल महामारी प्रिय तुझे दर्पण नहीं दिखाता
लूटपाट फसलों की बर्बादी पे,ये कोई उपाय सुझाता
क्यों नहीं सुनती प्रिय तू यहाँ पे भूखे बच्चों की पुकार
तेरे दर्पण देखने पर ही ………
भूखी जनता देखकर मुझे लगता नेता हो गए हराम
राधे हमारे नाम पर मंदिरों में पूजारी भी ले रहे दाम
कैसे धन्ना सेठों के हो गई है देख राधे लक्ष्मी लाचार
तेरे दर्पण देखने पर ही………
जनता का चूल्हा ठंडा है मिनिस्टर के गाल पे लाली
निज स्वार्थ पर जनता को लूट कर करें ये जेब ख़ाली
करोड़ो ये पेट मे हज़म कर जाते लेते नहीं यह डकार
तेरे दर्पण देखने पर ही……..
तू जुल्फें संवारने का अपना ले तरीका नया इस साल
जो राह दे रहा दे कह कर आये कर उसको मालामाल
हमदर्दी अशोक से है तो सौदे में भक्ति दे उसे अधिकार
तेरे दर्पण देखने पर ही…….
सौ प्रतिशत राधे,लक्ष्मी पाकर लोग गलत है अकड़ते
मोहमाया में फंसकर के ढोंगियों के जाल में है जकड़ते
पर एक बात समझले ठप्प पड़ी है किसान की पैदावार
तेरे दर्पण देखने पर ही……..
गर देख प्यारी राधे, तुझे मुझसे है प्यार सबसे ज्यादा
अमृत की प्याली सुन सखा खुशहाली का दे मुझे वादा
मुझसे मेरी जान लेले ,करें गर तू सबके सपनें साकार
तेरे दर्पण देखने पर ही…….
अशोक सपड़ा हमदर्द की क़लम से दिल्ली से