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29 Jul 2017 · 1 min read

कविता हैं मन का भाव

कविता है मन का भाव,
भरती है जीवन के घाव,

जब हाेने लगती कांव कांव,
याद आता मुझकाे मेरा गांव,

वाे कहां गयी कागज की नाव,
कहां गये पाेथी पढ़ने वाले राव,

वाे ताऊ जी की मूंछाे का ताव,
बात बात पर स्वीकृति का हाव,

चलते चलते राह में थकते पांव,
नैना ढूंढे इधर उधर तरु की छांव,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
।।जेपीएल।।

Language: Hindi
1 Comment · 1396 Views
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