कविता – हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे |
कविता – हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे |
हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे |
यारा कदम बढ़ाना रे, होगा कल हमारा रे ||
साथ चलो तो पार करेंगे विपदाओं की खाई |
साथ आओ तो रोकेंगे हम जग की सभी लड़ाई ||
पाकर साथ मिटा देंगे हम जग की सभी बुराई |
आओ आओ सब मिल आओ, आओ बहना भाई ||
भेदभाव सब मिट जायेंगे, देश दिखेगा न्यारा रे |
हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे ||
साथ चलो तो मीत मिटेंगी सभी थकानें भारी |
बड़ी से बड़ी मन्ज़िल भी अब होगी यार हमारी ||
साथ चलो तो राह कँटीली होंगी यार सुखारी |
असहाय और निर्बलाएँ भी ना होंगी दुखियारी ||
सबको ही अधिकार मिलेंगे समाज लगेगा प्यारा रे |
हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे ||
साथ चलो तो हो जाएँगे सारे सफर सुहाने |
साथ आओ तो मिल जाएँगे लम्हे सभी दिवाने ||
सभी पराये अपने होंगे- होंगे ना बेगाने |
भारी भारी अन्जाने पल होंगे ना अन्जाने ||
ऐ साथी तू मिल जाये तो होगा संग सहारा रे |
हाथ बढ़ाना यारा रे, होगा कल हमारा रे ||
कवि शिवम् सिंह सिसौदिया ‘अश्रु’
ग्वालियर, मध्यप्रदेश,
सम्पर्क- 8602810884, 8517070519