कविता – हम कमल के दिवाने हैं
हम कमल के हैं दिवाने।
कोई माने या ना माने ।।
युवा को है नया राह मिला।
मिट जाएगा हर सिकवा गिला।।
थोड़ा सवर तो रखना होगा
संघर्ष भी तो कुछ करना होगा।।
युवा में अब हलचल मची है।
इसिलिए तो कमल खिली हैं।।
हैं युवा नया इतिहास रचने वाले।
कोई माने या न माने।।
साईकल का ना अब रहा जमाना।
किया होगा अब लालटेन पुराना।
घड़ी अब कौन पहनता है।
हाथी पर कौन चढ़ता है।।
तिली तिली झारू का बिखरे।
इसलिऐ तो दिल्ली हैं पिछरे।।
देश हैं अब बढ़ता आगे।
कोई माने या ना मान।।
कोई माने या ना माने।