(कविता शीर्षक) *जागृति की मशाल*
*नए युग का नया सवेरा स्वर्णिम सपनों का
अद्भुत मेला मन अलबेला
देखे स्वर्णिम युग का नित्य नूतन सवेरा*
*मन में भावनाओं का गहरा समुंदर
जिसमे विचारों का अद्वितीय खजाना
जीवन का तराना सरगम की धुन पर
जीवन के उतार-चढ़ाव का आना जाना*
*कविता मात्र शब्दों का मेल नहीं
वाक्यों के जोड़ – तोड़ का खेल भी नहीं
कविता विचारों का प्रवाह है
आत्मा की गहराई में से समुद्र मंथन के पश्चात निकली
शुद्ध पवित्र एवम् परिपक्व विचारो के
अमूल्य रत्नों का अमृतपान है *
धैर्य की पूंजी सौंदर्य की पवित्रता
प्रकृति सा आभूषण धरती सा धैर्य
अनन्त आकाश में रोशन होते असंख्य सितारों के
दिव्य तेज का पुंज चंद्रमा सी शीतलता का एहसास
सूर्य के तेज से तपती काव्य धारा
स्वच्छ निर्मल जल की तरलता का प्रवाह
काव्य अंतरिक्ष के रहस्यमयी त्थयों की परिकल्पना
का सार है,साकारत्मक विचारो के जागृति की मशाल होती है*