कविता लिखता हूं
कविता
कविता लिखता हूं
*अनिल शूर आज़ाद
हर बार
जब-जब/तुम्हारी
याद आई है/मैंने एक
नई कविता/लिखी है
तुम्हारे लिए
गैर हो गया हूं/जानता हूं यह
किन्तु/चाहकर भी
भुला नही पाता/तुम्हे
एक सुखद अहसास/देता है
तुम्हारा/याद आना
हालांकि
लड़ भी रहा होता हूं/खुद से
कि अब/कौन होता हूं
तुम्हे यों/याद करने वाला
ऐसे ही बस..
कविता लिखता हूं!
(रचनाकाल : वर्ष 1987)