कविता- रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं ।
— रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं —
हाँ शादी के बाद
कुछ रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं ।
ये वो रिवाज़ नहीं जो
आपके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाये ।
ऐसे रिवाज़ नहीं जो
घूंघट के बोझ तले दबाएँ ।
ऐसी रस्में बिल्कुल नहीं
जो हम नारियों को अपमानित करवाएं ।
हाँ
ऐसी रस्में जरूरी है जो
आपसी समझ – सोच को बतायें ।
कंगन कचारा खोले जाएं कहीं तो
अंगूठी को ढूंढने की रस्म निभायें ।
आटे पर नाम लिखवाएं कही तो
कलशे में चावल भरवाये ।
एक दूसरे के प्रति समर्पण जताएं
हाँ ऐसे छोटे रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं ।
आज रस्मों रिवाज़ की आड़ में
औरत घुट – घुट कर मर रही है ।
ऐसे रस्में रिवाज़ से नारी को बचाये
जिनसे अरमानों की चिता जल रही है ।
जो रस्में रिवाज़ आपस में मिलवाये
ऐसे रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं । ??
—- जयति जैन ‘नूतन’ —-
7:25pm, 06-03-2018.