130. कविता बरसात की
झम झमाझम बारिश में,
मिल गये उससे नैन ।
उसको देखे बिना अब मुझको,
मिलता नहीं कहीं चैन ।।1।।
उसे बचाने की खातिर,
मैंने दे दिया अपनी छतरी ।
खुद को बचाने की खातिर मैं,
ओढ़ लिया अपनी पगड़ी ।।2।।
घर आया तो घरवाले पूछे,
क्या हुआ तेरी छतरी ।
मैंने हँसकर बोल दिया,
मुसलाधार बारिश के चलते,
आज वो ले गया है खतरी ।।3।।
आज पहला पहला दिन था उसका,
और हो गया मुझको उससे प्यार ।
अभी इजहार ना उससे कर पाया हूँ,
मुझे नाम नहीं मालूम है उसका,
लेकिन मैं हूँ बहुत बेकरार ।।4।।
पूरा दिन और पूरी रात हम,
यह सोच सोचकर हुए लाचार ।
प्यार की खातिर इजहार करूँ मैं,
कहीं वो कर दे ना इनकार ।।5।।
बारिश में उससे प्यार हुआ,
लेकिन इजहार होना था बाकी ।
छतरी जब लौटाने आई तो,
वो माँगती है मुझसे माफी ।।6।।
मैंने प्यार से पूछा उनसे,
आखिर माफी किस बात की ।
पलटकर उसने जवाब दिया,
मेरे खातिर आप भींगे हो,
माफी इस बात की ।।7।।
प्यार से नाम मैं पूछा उससे,
नाम बताई वो कविता मुझसे ।
हमें छतरी देने का कारण वो पूछी,
मैं बोल दिया मुझे प्यार है तुझसे ।।8।।
वो बरसात का पहला दिन,
और पहली बारिश,
उस बारिश में पहला प्यार हुआ ।
छतरी देने से दोस्ती हुई,
और लौटाने पर इजहार हुआ ।।9।।
घर आया तो डाँट पड़ी,
सुनकर माँ की बात ।
पता नहीं मुझको कि कैसे,
मालूम हुआ उसे ये बात ।।10।।
माँ इस लब्जों में बोली मुझसे,
पढ़ने जाते हो कि तुम, गुल खिलाते हो,
नाम जो हमारा बदनाम किये तो,
यहाँ तुम, रहोगे न मेरे साथ ।।11।।
इतना सुनकर हो गया मैं,
बहुत ही हक्का बक्का ।
चौका लगाने के चक्कर में,
लग गया मुँँह पर छक्का ।।12।।
मेरा प्यार मुझसे दूर हुआ,
और मैं हो गया भौंचक्का ।
उस बाल काल के जीवन में ही,
इस बात से,
मुझे लग गया पहला धक्का ।।13।।
उस बारिश का,
पहला प्यार मैं कैसे भूलूँ,
जिसे मैंने खुद किया था इजहार ।
आज कविता मेरे साथ नहीं है,
फिर भी करता हूँ उससे प्यार ।।14।।
अब जब जब बारिश होती है तो,
मुझे याद उसकी आती है ।
छतरी जब भी लेता हूँ तो,
उसकी याद हमें तड़पाती है ।।15।।
वो बरसात का पहला दिन,
और पहली बारिश,
उस बारिश में पहला प्यार हुआ ।
छतरी देने से दोस्ती हुई,
और लौटाने पर इजहार हुआ ।।16।।
फिर उससे दुबारा हमें,
एक कोचिंग में मुलाकात हुई,
और उसे हमसे ही प्यार हुआ ।
लेकिन घरवालों के कारण उसपे,
हमसे भी अत्याचार हुआ ।।17।।
अब जब भी कहीं उसका मेरा,
आपस में मिलते हैं नैन ।
एक दूजे से मिलने की खातिर ,
दिल हो जाते बेचैन ।।18।।
कविता नाम बताती थी वो,
लेकिन असल नाम था उसका रत्ना ।
अब वो भी कहीं चली गई है,
कोई कहता है बनारस,
तो कोई कहता है पटना ।।19।।
मेरा पहला पहला प्यार थी वो,
और ये मेरा पहला व आखिरी घटना ।
जिसे मैं, कभी भुला नहीं सकता,
इसे अब समझें आप मेरी नादानी,
या बाल काल की दुर्घटना ।।20।।
यही था मेरा वो बरसात का,
पहला दिन,और पहली बारिश,
जिस बारिश में मुझे पहला प्यार हुआ ।
छतरी देने से दोस्ती हुई,
और लौटाने पर इजहार हुआ ।।21।।
कवि – मन मोहन कृष्ण
तारीख – 24/05/2021
समय – 02 : 10 (रात्रि)
संपर्क – 9065388391