कविता -दो जून
हाइकु कविता :- दो जून रोटी
हो गयी मोटी,
होटलों में पहुंच।
दो जून रोटी,
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पाने खातिर
वो कत्ल कर देता।
दो जून रोटी।।
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गरीब से ये,
क्या क्या नहीं कराती
दो जून रोटी।।
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शादी पार्टी में,
बहुत इठलाती।
दो जून रोटी।।
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कद्र न जाने
धनी न पहचाने।
दो जून रोटी।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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