कविता : देखो 5 अगस्त को ,ऐतिहासिक नाम मिला है….
5 अगस्त के इश्तहार ,सूर्य ने बांटे हैं घर घर में
धरती अम्बर डूबे ,प्रायोजित जयकारों के स्वर में
आज ईश्वर से सबको उपहार मिला है
न्याय मंच से मंदिर निर्माण मिला है
देखो 5 अगस्त को ,ऐतिहासिक नाम मिला है। ।
राग द्धेष छोड़कर ,आओ सब मिल जलाएँ प्रेम दीपक
क्यूँकि मन्दिर के रूप में ,अथक प्रयासों को परिणाम मिला है
देखो 5 अगस्त को ,ऐतिहासिक नाम मिला है
दीवाली पर जलता दिया जिसके नाम का
भारत को वह भगवान मिला है
त्याग ,तपस्या ,संस्कारों का स्वरुप मिला है
मर्यादित ,धीर वीर ,संस्कारित राम मिला है
कासेवकों के बलिदानों का ,ईनाम मिला है
देखो 5 अगस्त को ,ऐतिहासिक नाम मिला है । ।
5 अगस्त ऐतिहासिक तिथि है
तुम भूल अपनी पाट दो
प्रेम के घर बनाओ
और बेघरों में बाँट दो
ऐसा करना ही है क्यूंकि यह परम पूज्य काज है
न्याय अहिंसा ही तो राम राज्य है
अगर राम राज्य अब न आये
तो 5 अगस्त व्यर्थ है
मन्दिर निर्माण का ,फिर न कोई अर्थ है
आओ 5 अगस्त को
हर दिल में राम मन्दिर बनाएं
एक अयोध्या में
एक समाज में बनाएँ
तभी 5 अगस्त ,दीवाली ईद सी तारीख होगी
अन्यथा राम राज्य की कल्पना व्वर्थ होगी। ।