कविता:- कोरोना महामारी है….
कविता:- “कोरोना महामारी है”
✍ अरविंद राजपूत ‘कल्प’
सारे जग में फैल चुकी ये, कोरोना महामारी है।
फैल रही जो छुआछूत से, ऐ संक्रामक भारी है।।
दहलीज न पार करो घर की, जंग हमारी जारी है।
उपचार नही जग में इसका, लाइलाज बीमारी है।।
सीमाओं पर जाने कितने, युद्ध लड़े होंगें हमने।
हार-जीत के कितने हर्ष विषाद सहे होंगें हमने ।।
एक महामारी कोरोना, जीवन पर अभिशाप बनी।
बन बीमारी छुआछूत की, मानव का संताप बनी।।
सामाजिक दूरी अपनाना, हम सबकी मजबूरी है।
जिंदा रहना है गर हमको, दूरी बहुत जरूरी है।।
बार-बार चेहरा मत छूना, हाथों को साबुन से धोना।
मास्क लगा लेना चेहरे पर, तब घर से बाहर होना।।
लांघ नहीं लक्ष्मण रेखा को, यह दरकार सुनी होगी।
सीमा लाँघ गई सीता की, करुण पुकार सुनी होगी।।
एक जंग कोरोना से, घर बैठे ही लड़नी होगी।
घर में रह कर मानवता की, रक्षा अब करनी होगी।।
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