कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- #दुःख_तो_बहुत_हैं_मगर…
(संदर्भ -#विश्व_कप_क्रिकेट में #पराजय)
जो #आईपीएल में बिकते हैं।
वो विश्व कप में कहां टिकते हैं।।
दस का दम था या दंभ था।
अतिउत्साह में ये मिटते हैं।।
आज उनका दिन था वे जीते।
हम उनसे कम थे इसलिए रीते।।
विज्ञापन और पार्टियों से फुर्सत कहां।
तुम बहादुरी से कल खेले कहां।।
खैर छोड़ो रोना धोना और कोसना।
अभी तो विश्व कप और भी होना है ।।
दुःख तो बहुत है मगर क्या करें।
इसकी भरपाई अब कौन करे।।
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✍️ #राजीव_नामदेव “#राना_लिधौरी”,#टीकमगढ़
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष #वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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