Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2023 · 2 min read

कविता तुम क्या हो?

कविता तुम क्या हो?

कविता, तुम क्या हो? मुझको भी बतलाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, मूल वेश में आओ जरा॥
हो कवि कल्पित कपोल कल्पना, या वाङ्गमय की प्रस्फुटित धारा।
तेरे स्मरण मात्र से, रोमांचित हो, पुलकित हुआ, मेरा रोम-रोम सारा॥
उच्छृंखल उमंग से प्लावित हो, तप्त रुधिर बन रग-रग में बहता।
कौतूहल, बुलबुला सदृश्य, श्रांत हृदय में उठता ही रहता॥
या भाव विह्वलता की कडी हो, तो इन भावों को समझाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, ………॥१॥
जीवन के आदर्शों की प्रतिकृति या, जीवनवृत्त का हो सम्पूर्ण समन्वय।
पथ दर्शक समष्टि सृष्टि के, ज्ञान तत्व का करती अन्वय ॥
कभी पथिक सी भटकाती है, कभी ये मंजिल देती है।
कभी शोक संताप हृदय का, ये समस्त हर लेती है॥
सार छुपा है क्या-क्या तुझमें, मेरे सम्मुख भी लाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, ………॥२॥
हास्य करुण श्रंगार वीर, वीभत्स शांत अदभुत रसलीन।
रौद्र भयानक के होते भी, वात्सल्य में है तल्लीन॥
ओज प्रसाद माधुर्य गुणों से, पोषित शब्द सुमन चुन-चुनकर।
मधुरा, ललिता, प्रोढा, परुषा, भद्रा, काव्य वृत्तियां बुनकर॥
शब्द शक्तियों से हो अलंकृत, कोई साहित्यायन तो दिखलाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, ………॥३॥
अनल सिंधु गिरि कानन अम्बर, तुझमें सभी समाया है।
तेरी सीमाओं को अब तक, कोई माप न पाया है॥
खोजूं तुझको कहाँ? कहाँ से, तेरा उद्गम होता है।
कोई पढकर हंसे खुशी से, कोई गम में रोता है॥
दिल-दिमाग-मन को वश में, करती कैसे बतलाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, ………॥४॥
रवि की किरणों से प्रखर दीप्त, तू हिम से भी शीतल है।
भावों के प्रबल प्रवाह में तो, तू सरिता से भी अल्हड है॥
वर्ण बिन्दु से हृदय पटल पर, क्या-क्या बिम्ब बनाती हो।
कितने ही भावों को गढ-गढ, नव चेतना जगाती हो॥
‘अंकुर’ जीवन ज्योति शिखा बन, आनंद रस बरसाओ जरा।
अपने छद‍्म वेश को तजकर, ………॥५॥

-✍️ निरंजन कुमार तिलक ‘अंकुर’
छतरपुर मध्यप्रदेश 9752606136

Language: Hindi
415 Views

You may also like these posts

सनम हर पल तुझी को ही लिखे शब्दों में पाया है।
सनम हर पल तुझी को ही लिखे शब्दों में पाया है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
मेरी जिंदगी की खुशियां तेरे नाम करूंगा
मेरी जिंदगी की खुशियां तेरे नाम करूंगा
कृष्णकांत गुर्जर
4423.*पूर्णिका*
4423.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"बदलता लाल रंग।"
Priya princess panwar
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
DrLakshman Jha Parimal
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
ऐ दिल सम्हल जा जरा
ऐ दिल सम्हल जा जरा
Anjana Savi
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
डी. के. निवातिया
" सच्चाई "
Dr. Kishan tandon kranti
भक्ति
भक्ति
Rambali Mishra
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
VINOD CHAUHAN
इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
Mahesh Tiwari 'Ayan'
आका का जिन्न!
आका का जिन्न!
Pradeep Shoree
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
*दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)*
*दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Life is Beautiful?
Life is Beautiful?
Otteri Selvakumar
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
टीचर्स डे
टीचर्स डे
अरशद रसूल बदायूंनी
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
ख्याल (कविता)
ख्याल (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
ऐसी आभा ऐसी कांति,
ऐसी आभा ऐसी कांति,
श्याम सांवरा
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
10 Habits of Mentally Strong People
10 Habits of Mentally Strong People
पूर्वार्थ
जय मंगलागौरी
जय मंगलागौरी
Neeraj Agarwal
संवेदना
संवेदना
Shweta Soni
#इधर_सेवा_उधर_मेवा।
#इधर_सेवा_उधर_मेवा।
*प्रणय*
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
नायक कैसा हो? (छंदमुक्त काव्य )
नायक कैसा हो? (छंदमुक्त काव्य )
Neerja Sharma
धीरे-धीरे ढह गए,
धीरे-धीरे ढह गए,
sushil sarna
Loading...