जो सच में प्रेम करते हैं,
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
*अब सब दोस्त, गम छिपाने लगे हैं*
इस शहर से अब हम हो गए बेजार ।
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
नफरती दानी / मुसाफिर बैठा
ईद
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अगर तू दर्द सबका जान लेगा।
कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!