कविता – जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना
जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना ,
हरकोई मिट्टी वाले दीपक जलाये ।
भगाये अंधेरा सम्पूर्ण धरा का ,
मगर दिलों में अंधेरा रहने न पाये ।। जलायें……
खरीदें न सामन एक भी विदेशी ,
समृद्ध करें देश खरीदकर स्वदेशी ।
जिससे मने गरीब की भी दिवाली ,
देश का धन न लेजा पाये परदेशी ।
देश का धन देश के काम आये ।। जलायें ……..
चलायें पटाखे बड़े ध्यान से हम ,
मनायें दिवाली स्वाभिमान से हम ।
मिठाई खील खिलौने सब खूब खायें ,
माँ लक्ष्मी जी को पूजें सम्मान से हम ।
करें कुछ ऐसा खुशियाँ हर कोई मनाये ।। जलायें……….. *दीपावली की सभी को अग्रिम बधाईयाँ *
निवेदक :- डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज