कविता क्या होती है…?
कविता क्या होती है…..?
इसे नहीं पता,उसे नहीं पता
मुझे नहीं पता………..!
कहते हैं कविगण-
कविता होती है मर्मशील विचारों का शब्द पुँज,
कविता होती है साहित्य की पायल,
कविता होती है शब्दों का हार।
कहते हैं शब्द शिल्पी-
कविता होती है मन की बात,
कविता होती है रस की धार,
कविता होती है शब्दों के उपवन की कुसुम कतार।
कहते हैं साहित्यकार-
कविता होती है कवि की लेखनी की हँसी,
कविता होती है समाज का आह्वान,
कविता होती है पाठक का सुकून।
मैं कहता हूँ
कविता होती है बेजुबानों की बोली,
कविता होती है अंधों की दृष्टि
कविता होती है साहित्य की झनकार,
कविता में समाया है सारा संसार ॥
© राजदीप सिंह इन्दा