कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
शब्द शब्द का कवि करे, छंदों से शृंगार
छंदों से शृंगार, कल्पना का ले आँचल
कवि कविता के साथ,बना रहता है निश्छल
कहे ‘अर्चना’ बात, भाव की बहती सरिता
जब मिलता है दर्द, जन्म लेती है कविता
डॉ. अर्चना गुप्ता